अस्सी घाट ऐतिहासिक नगरी वाराणसी का एक प्रसिद्ध गंगा घाट है। अगर आप वाराणसी घूमने जा रहे है, तो आप एक बार अस्सी घाट जरूर जाये और वहाँ की सुबह और शाम की आरती जरूर देखे। आरती शब्द संस्कृत शब्द के “अरात्रिका” से लिया गया है, जिसका अर्थ “एक अनुष्ठान” है जो अंधकार को ख़त्म करता है। वाराणसी के अस्सी घाट की आरती विश्वप्रख्यात है, जिसे देखने के लिए यहां पे दूर-दूर से पर्यटक आते है। तो आइये विस्तार से जानते है Assi Ghat Varanasi Morning and Evening Aarti Time के बारे में।
अस्सी घाट की आरती का समय – Assi Ghat Varanasi Morning and Evening Aarti Time
अस्सी घाट आरती टाइम :- अस्सी घाट पर गंगा आरती की प्रथा बहुत पहले से ही चली आ रही है। अस्सी घाट पे दिन में दो बार गंगा आरती की जाती है, और यहां की गंगा आरती को देखने के लिए हज़ारो की संख्या में पर्यटक आते है। एक आरती सुबह में की जाती है, और एक शाम को। नीचे सुबह और शाम की आरती के बारे में अच्छे से जानकारी दी गई है।
अस्सी घाट सुबह की आरती का समय – Assi Ghat Varanasi Morning Aarti Time
गर्मी के दिनों में अस्सी घाट पे गंगा आरती सुबह 05:00 बजे शुरू हो जाती है, और यही आरती सर्दिओं के दिनों में सुबह 05:30 बजे शुरू होती है, जो लगभग 45 मिनट तक चलती है।
गर्मी के मौसम में सुबह की आरती | 05:00 बजे |
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सर्दी के मौसम में सुबह की आरती | 05:30 बजे |
आरती अवधि | 45 मिनट ( लगभग ) |
आरती की आवृत्ति | दिन में 2 बार |
सुबह | शाम |
अस्सी घाट शाम की आरती का समय – Assi Ghat Varanasi Evening Aarti Time
गर्मी के दिनों में अस्सी घाट पे गंगा आरती शाम को 06:00 बजे शुरू हो जाती है, और यही आरती सर्दिओं के दिनों में शाम के 06:30 बजे शुरू होती है, जो लगभग 40 से 45 मिनट तक चलती है।
गर्मी के मौसम में शाम की आरती | 06:00 बजे |
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सर्दी के मौसम में शाम की आरती | 06:30 बजे |
आरती अवधि | 40 से 45 मिनट |
आरती की आवृत्ति | दिन में 2 बार |
सुबह | शाम |
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वाराणसी गंगा आरती का इतिहास – History of Varanasi Ganga Aarti
शुरुआत में गंगा जी की आरती केवल कुछ प्रमुख त्योहारों, जैसे :- दीपावली, देव दीपावली, दहशरा, नवरात्री, सावन के प्रत्येक सोमवार पर ही की जाती थी। लेकिन कुछ समय पश्चात सन्न 1991 ईस्वी से गंगा जी की आरती प्रतिदिन नियमित रूप से शुरू की गई। उस समय जो गंगा जी की आरती होती थी वो इतनी भव्य नहीं थी, लेकिन फिर धीरे धीरे समय बीतता गया और गंगा जी की आरती भव्य होती गई, और आज ऐसा समय आ गया है की वाराणसी गंगा घाट की आरती विश्वप्रख्यात है।
शुरुआत के दिनों में गंगा जी की आरती एक अर्चक द्वारा ही की जाती थी, लेकिन कुछ समय बाद 3 अर्चक उसके बाद 5 अर्चक और फिर अब वर्त्तमान समय में 7 अर्चक गंगा जी की आरती करते है। वर्त्तमान में इस आरती को गंगा जी के सप्तऋषि आरती के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिसमे गंगा नदी के घाट पे मिट्टी के दीये में दीपक जलाया जाता है, पुजारी द्वारा मंत्र पढ़ा जाता है, पुष्प के साथ दीये को नदी में प्रवाहित किया जाता हैं, इस आरती देखने के लिए रोजाना हज़ारो की संख्या में लोगो की भीड़ लगती है।
वाराणसी गंगा आरती की परंपरा – Varanasi Ganga Aarti Tradition
गंगा जी की आरती एक समारोह ही नहीं बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठान है, जिसमें माँ गंगा की पूजा – अर्चना की जाती है। यह आरती सुबह सूर्योदय से पहले की जाती है और शाम सूर्यास्त के समय की जाती है। गंगा आरती भव्य दीपों, पुष्पों, मंत्रों और संगीतो का एक समायोजन है, जो यहाँ की आरती में चार चाँद लगता है।
गंगा आरती करने के लिए पुजारी सांस्कृतिक वस्त्र धारण करके एक विशेष प्रकार के दीपक के समूह और अगरबत्ती को जला के लहराते हुए भजन, प्रार्थना और मंत्र का जप करते हैं। गंगा जी की आरती करते है। पुराणों में ऐसा कहा गया है की गंगा में स्नान और माता गंगा की आरती करने से सरे पाप धूल जाते है। गंगा आरती के दौरान लोगो में भक्ति और ऊर्जा आपने चरम पे होती है, गंगा जी की आरती देखने वाले लोगो में एक अलग ही उत्साह होता है।
वाराणसी गंगा आरती का महत्व – Importance of Varanasi Ganga Aarti
वाराणसी में गंगा जी की आरती का एक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, जो भारत की धार्मिक संस्कृति का एक जीता जागता उदहारण है। दशाश्वमेध घाट और अस्सी घाट पर होने वाली गंगा आरती को देखने मात्र के लिए श्रद्धालु देश-विदेश से आते है, और इस अद्भुत धार्मिक और सांस्कृतिक दृश्य का आनंद लेते हैं। ऐसा मान्यता है कि गंगा जी की आरती से शरीर, मन और आत्मा तीनो शुद्ध हो जाती हैं।
गंगा आरती एक सुंदर दृश्य से ज्यादा एक बेहतरीन सांस्कृतिक और आधात्मिक कार्यक्रम है। गंगा आरती का उद्देश्य देवी गंगा की प्रार्थना करना और उनके प्रति आभार व्यक्त करना होता है। गंगा जी को सनातन धर्म में एक पवित्र और दिव्य इकाई के रूप में माना जाता है। गंगा आरती एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है, जो किसी देवताओ या फिर किसी पवित्र तत्व, जैसे गंगा नदी, को भेंट के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
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FAQ’s ( Assi Ghat Varanasi Morning and Evening Aarti Time )
क्या वाराणसी में हर दिन गंगा आरती होती है?
हाँ, वाराणसी में प्रतिदिन सुबह और शाम दिन में दो बार गंगा आरती होती है।
सुबह में गंगा की आरती किस घाट पर की जाती है?
वर्त्तमान में लगभग सभी घाटों पर प्रतिदिन दो बार गंगा आरती की जाती है। लेकिन वाराणसी में सुबह की सबसे प्रसिद्ध आरती अस्सी घाट पे की जाती है, जिसे सुबह-ए-बनारस के नाम से जाना जाता है।
वाराणसी में कौन सी गंगा आरती सबसे बेहतर है?
वाराणसी की सबसे बेस्ट गंगा जी की आरती दशाश्वमेध घाट पे और अस्सी घाट पे ( सुबह-ए-बनारस ) की जाती है।
अस्सी घाट की आरती कितने बजे की जाती है?
अस्सी घाट पे आरती गर्मी के दिनों में सुबह 05:00 बजे और शाम को 06:00 बजे। सर्दी के दिनों में सुबह 05:30 बजे और शाम को 06:30 बजे की जाती है, जो लगभग 45 मिनट तक चलती है।
काशी विश्वनाथ मंदिर में आरती कितने बजे होती है?
काशी विश्वनाथ मंदिर में आरती प्रतिदिन सुबह 03:00 से 04:00 बजे के बीच शुरू हो जाती है।
निष्कर्ष – Conclusion
आज के इस पोस्ट में अस्सी घाट और वहाँ पे होने वाली आरती, उस आरती के समय के बारे में बात किया गया है, और Assi Ghat Varanasi Morning and Evening Aarti Time के बारे में भी विस्तृत रूप से चर्चा की गई है। अस्सी घाट वाराणसी का एक धार्मिक और सांस्कृतिक घाट है। अगर आप वाराणसी आ रहे है, तो आप अस्सी घाट जरूर आये, और यहाँ की भव्य गंगा आरती का आनंद जरूर ले। यहाँ की आरती आप को मनमुग्द कर देगी। पुरे भारत में भव्य आरती केवल तीन जगहों पे होती है, पहला ऋषिकेश दुशरा हरिद्वार और तिशरा वाराणसी। लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद ….. 🙏